नन्हे शिशुओं के लिए संजीवनी स्थल बना ’’विशेष नवजात शिशु देखभाल केन्द्र’’

                                              अबतक 690 शिशुओं का हो चुका है उपचार



गतवर्ष 26 जनवरी 2019 को जिला चिकित्सालय मे स्थापित ‘विशेष नवजात शिशु देखभाल केन्द्र‘ नन्हें शिशुओं के लिए एक संजीवनी स्थल की भूमिका बखूबी निभा रहा है। ज्ञात हो कि जिला चिकित्सालय में उक्त केन्द्र बनने के पूर्व अक्सर नवजात शिशुओं में पाई जाने वाली प्रसव उपरांत पाए जाने वाले विकारो के उपचार हेतु आपात स्थिति में जगदलपुर मेडिकल कॉलेज रिफर करना पड़ता था। यहां बताना जरुरी होगा कि जिले के दूरस्थ ग्रामीण अंचलो के नवजात शिशुओं में अकसर कम वजन, कमजोरी, सांस संबंधी परेशानियाँ आदि स्वास्थ्य संबंधी समस्याऐं पाई जाती है। ऐसे विकट स्थिति में पालको के समक्ष शिशुओं के उपचार के लिए अन्यत्र शहर जाने के अलावा कोई चारा नहीं रहता था, परन्तु अब जिला अस्पताल में ही विशेष नवजात शिशु देखभाल केन्द्र के अंतर्गत उपरोक्त लक्षणों से पीड़ित शिशुओं को बेहतरीन उपचार सुविधा उपलब्ध की जा रही है। उल्लेखनीय है कि कलेक्टर श्री नीलकंठ टीकाम द्वारा प्रति सोमवार को संपूर्ण जिला चिकित्सालय सहित विशेष नवजात शिशु देखभाल केन्द्र, पोषण पुर्नवास केन्द्र का निरीक्षण कर स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सको की आवश्यक बैठक लेकर अस्पताल के प्रबंधन की जानकारी ली जाती है।


अब तक 690 शिशु हो चुके है स्वस्थ
    जिला चिकित्सालय में में स्थित विशेष नवजात शिशु देखभाल केन्द्र (एसएनसीयू) में अभी दो वेंटीलेटर, 6 फोटोथेरिपी मशीन एवं ट्रांस्पोटिंग इक्यूबेटर चिकित्सा उपकरण मशीन लगाए गए है और इस केन्द्र में 12 शिशुओं को एक साथ रखा जा सकता है। इसके अलावा इस केन्द्र में सेंट्रल ऑक्सीजन प्लांट भी लगाया जायेगा। बतौर स्टॉफ इस केन्द्र में 11 नर्से एवं 02 चिकित्सक (शिशु रोग विशेषज्ञ) कार्यरत है। अपनी स्थापना से अब तक इस केन्द्र से 690 शिशु उपचारित हो चुके है।


ग्रामीण पालको के लिए बना ‘शिशु आरोग्य मंदिर‘
    मौके पर मौजूद चिकित्सक डॉ0 संजय बसाख, डॉ0 राजेश बघेल एवं डॉ0 रुद्र कश्यप ने जानकारी दी कि उपरोक्त यूनिट के सभी कक्ष में उपचार होने वाले शिशुओं की उपस्थिति प्रतिदिन 90 प्रतिशत तक रहती है और वर्तमान में ग्राम लभा, पुसपाल, बुनागांव, कोंगेरा, सिरपुर, मालगांव, बड़ेकनेरा, जोंदरापदर, कमेला, कबोंगा, अनतपुर, सिरसीकलार, बिंजोली, चिलपुटी, गिरोला, जैतपुरी, बनचपई और केशकाल से उपचार हेतु शिशुओं को लाया गया है। उक्त केन्द्र में उपस्थित प्रसुता माताओं श्रीमती अनिता (ग्राम-हाटचपई), श्रीमती हसती बाई (ग्राम-मुण्डागांव), श्रीमती सुरेखा (लंजोड़ा) से चर्चा करने पर पता चला कि वे उनके शिशु कमजोरी, कम वजन इत्यादि से पीड़ित थे परन्तु केन्द्र में लाने के उपरांत उनके स्वास्थ्य में बेहतर सुधार हुआ है। यह सराहनीय है कि जिला चिकित्सालय में स्थित उक्त केन्द्र द्वारा नन्हें शिशुओं के स्वास्थ्य संबंधी दायित्वो का निर्वहन उत्कृष्टतापूर्वक किया गया है और उनके प्रयासों से जहां नन्हें बच्चों को स्वस्थ किया गया है वहीं उनके पालको को महंगे उपचार के खर्च से निजात भी मिली है। विशेष तौर पर ग्रामीण अंचलो के पालको एवं उनके शिशुओं के लिए उक्त केन्द्र एक ‘आदर्श आरोग्य मंदिर‘ का स्थान रखता है।